Book Title: Bruhad Dravya Sangraha
Author(s): Bramhadev
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 278
________________ ५२, ७७ भेद भेद नय १२६ पारिभाषिक शब्द ] . वृहद्रव्यसंग्रहः [२५७ - शब्द पृष्ठ । शब्द भाव मोक्ष १५२,१५३,२२६,२३० | महापुंडरीक १२१ भाव श्रुत २२३, २२७ | महापुरी (नगरी) १२६ भाव शुद्धि १०० | महावच्छा (देश) १२८ भाव संवर ६३, ६४ | महावप्रा (देश) १३० भावस्तवन महाव्रत १६२, २२५ भावासिद्धहेतु २०६ महाशुक्र १३८, १३६, १४०, १४२ भिक्षा शुद्धि १०१ | महास्कन्ध भूतार्थ-नय महाहिमवत १२१, १२२, १२४, १३२ भूषणाङ्ग कल्पवृक्ष १२६ मानुषोत्तर १३२, १३३, १३७, १७४ ५०, ५२ | मायाशल्य १८१ १८६, १६० मार्गणा भेदाभेद रत्नत्रय १५६,१७०.१७२,१७३, मारणान्तिक समुद्घात १९८२०४,२१४,२२८ मार्दव १०० भोक्ता ६, २२, २३, ७६ | माल्याङ्ग कल्पवृक्ष भोगभूमि १२२,१२३,१२४,१२६,१३८ मालवदेश भोजनाङ्ग कल्पवृक्ष १२६ माहेन्द्र (स्वर्ग) १३८,१३६,१४०,१४२ भोजराजा मिथ्यात्व मिथ्यादृष्टि ३२, ४७, १४८ मकर संक्रांति मिथ्याशल्य १८१ मङ्गल (ग्रह) मिश्र गुणस्थान ३३, ४७, १४८ मङ्गलावति (देश) मुक्तात्मा मञ्जूषा (नगरी) २१६, २१७ मतिज्ञान ८, १६, २०, ४८, ७४, ७५ मूढ़ता १५८,१६५, १६६ मथुरा मूलगुण () १६१ १५८.१६ मेरु ११४, ११५, ११६, १२३, १२५, १२६ मनः पर्यय ज्ञान १७, १७६, १८५ १२७, १२८, १२६, १३१, १३२, १७४, २०६ ममकार मेरुचूलिका १३८ मलेक्ष खंड १२५, १३० मोह मलेक्ष भाषा मोक्ष ८०, ८१, ८३, ८४, १५१, १५२, १५३ महा कच्छा (देश) २२८, २२६ महात्म प्रभा (नरक) ११४ | मोक्षप्राभृत (ग्रन्थ) २२६ महाधवल मोक्षमार्ग १६०, १६१, १६२, १६३, महापद्म १२१, १२२, १२३, १२४ १६५, २२० महापद्मा (देश) १२६ मोक्षशिला १३६ मुनि मद (5) १२७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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