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पाठ - 4 वज्जालग्ग
___ 1.
काव्य बड़ी कठिनाई से रचा जाता है। काव्य के रच लेने पर (उसका) पाठ बड़ी कठिनाई से (किया जाता है)। पाठ करनेवाले (व्यक्ति के) होने पर श्रोता दुर्लभ होते हैं।
अच्छे कवियों द्वारा कठिनाई से रचित अनाथ गाथा दोनों ही हाथों को सिर पर रखकर रोती हैं, (जब) मूर्ख (पाठी) (गाथा-पाठ को) लापरवाही से बिगाड़ देता है।
गाथा के द्वारा कौन प्रसन्न नहीं किया जाता है? प्रिय मित्रों को कौन स्मरण नहीं करता है? तथा श्रेष्ठ परोपकारी के पीड़ित होने पर कौन (व्यक्ति) पीड़ित नहीं किया जाता है?
प्राकृत काव्य से जो रस उत्पन्न होता है (उससे) (हम ऊब को प्राप्त नहीं होते हैं), उसी तरह ही (जैसे) निपुण (व्यक्ति) के द्वारा बोले गए (वचनों) से तथा (अपने द्वारा पिए गए) सुगन्धित शीतल जल से (भी) (हम) ऊब को प्राप्त नहीं होते हैं।
5.
प्राकृत काव्य को नमस्कार तथा जिसके द्वारा प्राकृत काव्य रचा गया है (उसको) भी (नमस्कार) तथा जो भी (लोग) (काव्य को) पढ़कर समझते हैं उनको भी (हम) प्रणाम करते हैं।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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