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6. वह पिता के साथ घर में आया। (वह) बहू को पूछता है (तुम्हारे द्वारा) माता-पिता का अपमान क्यों किया गया? साधु के साथ वार्ता में असत्य उत्तर क्यों दिए गए? उसके द्वारा कहा गया- तुम (ही) मुनि को पूछो, वह सब कह देंगे। ससुर ने उपासरे में जाकर अपमानसहित मुनि को पूछा- हे मुनि! आज मेरे घर में भिक्षा के लिए तुम क्यों आए? मुनि ने कहा- तुम्हारे घर को नहीं जानता हूँ, तुम कहाँ रहते हो? सेठ विचारता है कि मुनि असत्य कहता है। फिर पूछा गया- क्या किसी भी घर में बाला के साथ वार्ता की गई? मुनि ने कहा- वह बाला अत्यन्त कुशल है। उसके द्वारा मेरी भी परीक्षा की गई। उसके द्वारा मैं कहा गया- समय के बिना (तुम) कैसे निकले हो? मेरे द्वारा उत्तर दिया गया- समय का-मरण समय का ज्ञान नहीं है, इसलिए आयु के पूर्व में ही निकल गया हूँ। मेरे द्वारा भी परीक्षा के लिए ससुर आदि सभी के वर्ष (आयु) पूछे गए (तो) उसके द्वारा (बाला के द्वारा) अच्छी तरह (उचित प्रकार से) (उत्तर) कहे गए। सेठ ने पूछा- ससुर उत्पन्न नहीं हुआ, यह उसके द्वारा क्यों कहा गया? मुनि के द्वारा कहा गया- वह ही पूछी जाए, क्योंकि उस विदुषी के द्वारा यथार्थ भाव जाने जाते (जाने गये) हैं।
7. ससुर घर जाकर पुत्रवधू से पूछता है- उसके द्वारा मुनि के समक्ष इस प्रकार से क्यों कहा गया (कि) मेरा ससुर उत्पन्न ही नहीं (हुआ) है। उसके द्वारा कहा गया- हे ससुर! धर्महीन मनुष्य का मनुष्यभव प्राप्त किया हुआ भी प्राप्त नहीं किया हुआ (अप्राप्त) ही है, क्योंकि सत् धर्म की क्रिया के द्वारा (मनुष्य) भव सफल नहीं किया गया (है) (तो) वह मनुष्य जन्म निरर्थक ही है। उस कारण से तुम्हारा सारा जीवन धर्महीन ही गया, इसलिए मेरे द्वारा कहा गया- मेरे ससुर की उत्पत्ति ही नहीं है। इस प्रकार सत्य कारण पर (वह) सन्तुष्ट हुआ और धर्माभिमुख हुआ। फिर पूछा गया- तुम्हारे द्वारा सासू की (उम्र) छः मास कैसे कही गई? उसके द्वारा कहा गया (उत्तर दिया गया)- सासू को पूछो। सेठ के द्वारा वह पूछी गई। उसके द्वारा भी कहा गया- पुत्रवधू के वचन सत्य हैं, क्योंकि मेरी सर्वज्ञ-धर्म की प्राप्ति में छः माह ही हुए हैं, क्योंकि इस लोक में छ: मास पूर्व मैं कहीं भी मृत्यु प्रसंग में गई। वहाँ (उस) स्त्री (बहू) के विविध गुण-दोषों की वार्ता हुई।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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