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11.
अप्पणा
अव्यय
स्वयं
वि
अव्यय
अनाथ
अणाहो सि सेणिया मगहाहिवा
हे श्रेणिक!
(अणाह) 1/1 (अस) व 2/1 अक (सेणिअ) 8/1 [(मगह)-(अहिवा)] [(मगह)-(अहिव) 8/1] अव्यय (अणाह) 1/1 (संत) वकृ 1/1 अनि (क) 6/1 स (नाह) 1/1 (भव) भवि 2/1 अक
हे मगध के शासक स्वयं
अप्पणा अणाहो संतो
अनाथ
होते हुए
किसका
कस्स नाहो भविस्ससि
नाथ
होगा
12.
एवं
वुत्तो
कहा गया
नरिंदो
राजा
सो
सुसंभंतो सुविम्हिओ वयणं असुयपुव्वं साहुणा विम्हयन्नितो
अव्यय
इस प्रकार (वुत्त) भूकृ 1/1 अनि (नरिंद) 1/1 (त) 1/1 सवि
वह [(सु) (अ)-(संभंत) भूकृ 1/1 अनि] अत्यधिक, हड़बड़ाया [(सु) (अ)-(विम्हिअ) भूकृ 1/1 अनि] अत्यधिक, चकित हुआ (वयण) 2/1
वचन को (असुयपुव्व) 2/1 वि
पहले कभी न सुने गये (साहु) 3/1
साधु के द्वारा [(विम्हय)+(अन्नितो)]
आश्चर्ययुक्त [(विम्हय)-(अन्नित) भूकृ 1/1 अनि]
13.
अस्सा
.
(अस्स) 1/2
घोड़े
1.
समासगत शब्दों में रहे हुए स्वर परस्वर में दीर्घ के स्थान पर ह्रस्व हो जाया करते हैं। (हेम प्राकृत व्याकरण, 1-4)
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
159
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