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पारद्ध
प्रारम्भ किये गये को
(पारद्ध) भूक 2/1 अनि अव्यय
मा
मत
अव्यय
किसी तरह
पि
अव्यय
सिढिलेसु पारद्धसिढिलियाई
(सिढिल) विधि 2/1 सक [(पारद्ध) भूकृ अनि-(सिढिल) भूकृ 1/2] (कज्ज) 1/2
भी शिथिल करो प्रारम्भ किये गये, शिथिल किये गये
कार्य
कज्जाइ पुणो
अव्यय
फिर
न
नहीं
अव्यय (सिज्झ) व 3/2 अक
सिज्झंति
सिद्ध होते हैं
44.
मरणे
झीणविहवो
[(झीण) वि-(विहव) 1/1] नष्ट हुआ, वैभव
अव्यय सुयणो (सुयण) 1/1
सज्जन सेवइ (सेव) व 3/1 सक
सहारा लेता है रणं (रण्ण) 2/1
अरण्य का (को) अव्यय
नहीं पत्थए (पत्थ) व 3/1 सक
याचना करता है अन्न (अन्न) 2/1 वि
दूसरे से (मरण) 7/1
मरण में अव्यय
भी अइमहग्धं
[(अइ) अ=अति-(महग्घ) 2/1] अति मूल्यवान
अव्यय विक्किण (विक्किण) व 3/1 सक
बेचता है माणमाणिक्कं [(माण)-(माणिक्क) 2/1]
आत्मसम्मान रूपी रत्न को 45. नमिऊण (नम) संकृ
झुककर पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 516 2. 'याचना' अर्थ की क्रिया के साथ द्वितीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।
वि
नहीं
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
193
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