Book Title: Prakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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सुहेण अभिरममाणाई अभिरममाणाई विहरंति
(सुह) 3/1 क्रिविअ (अभिरम) वकृ 1/2 (अभिरम) वकृ 1/2 (विहर) व 3/2 अक
शान्तिपूर्वक रमते हुए तल्लीन होते हुए क्रीड़ा करते (थे)
तस्स
उस
णं
मयंगतीरद्दहस्स अदूरसामंते एत्थ
(त) 6/1 सवि अव्यय (मयंगतीरद्दह) 6/1 [(अ) अव्यय-(दूर)-(सामंत) 7/1] अव्यय
अव्यय
वाक्ययालंकार मृतगंगातीरहृद के दूर नहीं (किन्तु) पास में यहाँ वाक्यालंकार में प्रयुक्त विस्तृत एक मालुकाकच्छ था उसमें
महं
अव्यय
एगे
मालुयाकच्छए होत्था
(एग) 1/1 वि (मालुयाकच्छ) 'अ' स्वार्थिक 1/1 (हो) भू 3/1 अक
तत्थ
अव्यय
अव्यय
वाक्यालंकार
पावसियालगा परिवसंति
पापी शृंगाल रहते हैं (थे) पापी
पावा चंडा
क्रोधी
रोद्दा
तल्लिच्छा साहसिया लोहियपाणी आमिसत्थी
(दु) 1/2 वि [(पाव)-(सियाल+ग स्वार्थिक) 1/2] (परिवस) व 3/2 अक (पाव) 1/2 वि (चंड) 1/2 वि (रोद्द) 1/2 वि (तल्लिच्छ) 1/2 वि (साहसिअ) 1/2 वि [(लोहिय)-(पाणि) 1/2] [(आमिस) + (अत्थि)] [(आमिस)-(अत्थि ) 1/2 वि] [(आमिस) + (आहारा)] [(आमिस)-(आहार) 1/2]
तल्लीन साहसी खून के हाथवाले माँस के इच्छुक माँसाहारी
आमिसहारा
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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