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सो
पुरिसो
महिले
विरलो
6.
तया
एगेण
मंतिणा
भणियं
जइ
मन्नह
ता
विवायं
भज्जेमि
तेहिं
जंपियं
जो
रायहंसव्व
गुणदोसपरिक्खं
काऊण
पक्खवायरहिओ
वायं
भंज
तस्स
वयणं
को
न
मन्नइ
तओ
तेण
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(त) 1/1 सवि
( पुरिस) 1 / 1
(महियल) 7/1
(विरल) 1 / 1 वि
अव्यय
(एग ) 3 / 1 वि
(मंति) 3 / 1
(भण) भूकृ 1 / 1
अव्यय
(मन्न) विधि 2 / 2 सक
अव्यय
( विवाय) 2 / 1
(भज्ज) व 1 / 1 सक
(त) 3/2 स
( जंप ) भूक 1 / 1
(ज) 1 / 1 स
[ ( रायहंस) 1 / 1 (व्व ( अ ) = समान ) ]
[(गुण) - (दोस) - (परिक्खा) 2 / 1] (कर) संकृ
[ ( पक्खवाय) - ( रहिअ ) 1 / 1 वि]
(वाय) 2 / 1
(भंज ) व 3 / 1 सक
(त) 6 / 1 स
( वयण ) 2 / 1
(क) 1/1 स
अव्यय
(मन्न) व 3 / 1 सक
अव्यय
(त) 3 / 1 स
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वह
पुरुष
पृथ्वी पर
दुर्लभ
तब
एक
मंत्री के द्वारा
कहा गया
यदि
मानो ( मानोगे )
तब
विवाद
हल करता हूँ (कर दूँगा )
उनके द्वारा
कहा गया
राजहंस के समान
गुण-दोष की परीक्षा
करके
पक्षपातरहित
विवाद को
सुलझाता है
उसकी
बात को
कौन
नहीं
मानता है ( मानेगा)
तब
उसके द्वारा
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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