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जामाउणा
दामाद के द्वारा विचारा गया
चिंतिअं
एत्थ सावमाणं ठाउं
(जामाउ) 3/1 (चिंत) भूकृ 1/1 अव्यय (सावमाण) 2/1 क्रिवि (ठा) हेकृ अव्यय (उइअ) 1/1 वि
यहाँ अपमान सहित (पूर्वक) ठहरने के लिए नहीं
उइअं
उचित
तओ
अव्यय
तब
मित्तं
यह
सो (त) 1/1 स
वह (उसने) (मित्त) 2/1
मित्र को कहेइ (कह) व 3/1 सक
कहता है (कहा) हे मित्त (मित्त) 8/1
हे मित्र! अम्हं (अम्ह) 6/2 स
हमारी सुहसज्जा [(सुह)-(सज्जा) 1/1]
सुख शय्या का (का) 1/1 स
क्या इम
(इम) 1/1 स भूलोट्टणं [(भू)-(लोट्टण) 1/1]
जमीन पर लोटना च अव्यय
और कत्थ अव्यय
कैसे अओ अव्यय
अतः अव्यय
यहाँ से गमणं (गमण) 1/1
गमन चिअ
अव्यय (वर) 1/1 वि
श्रेष्ठ (त) 1/1 स
वह (उस) मित्तो (मित्त) 1/1
मित्र (मित्र ने) बोल्लेइ (बोल्ल) व 3/1 सक
बोलता है (बोला) एआरिसदुहे
[(एआरिस) वि-(दुह) 7/1] | इस जैसे दुःख में 1. कभी-कभी संज्ञा शब्द की द्वितीया विभक्ति का एकवचन रूप भी क्रिया विशेषण के रूप में
प्रयुक्त होता है। संस्कृत व्याकरण, डॉ. प्रीति प्रभा गोयल।
इओ
ही
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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