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केसवजामायरो
भोयणत्थं
उवविट्ठो
पुरोहिअस्स
य
पुत्तो
समीवे
ठिओ
वट्टइ
तया
पुरोहिओ
समागओ
समाणो
पुत्ते'
पुच्छइ
वच्छ
एत्थ
मए
रूप्पगं
मुत्तं
4.
च
केण
गहिअं
सो
कहे
अहं
म
1.
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
[ ( केसव ) - (जामायर) 1 / 1] (भोयणत्थं) क्रिविअ
( उवविट्ठ) भूकृ 1 / 1 अनि
(पुरोहिअ ) 6/1
अव्यय
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(पुत्त) 1/1
(समीव) 7 / 1 वि
(ठिअ ) भूक 1 / 1 अनि
(वट्ट) व 3 / 1 सक
अव्यय
(पुरोहिअ ) 1/1
( समागअ ) भूकृ 1 / 1 अनि
( समाण) 1 / 1 वि
(पुत्त) 7/1
(पुच्छ) व 3 / 1 सक
(वच्छ) 8 / 1
अव्यय
( अम्ह ) 3 / 1 स
( रुप्पग ) 1 / 1
(मुत्त) भूक 1 / 1 अनि
(त) 1 / 1 स
अव्यय
(क) 3 / 1 स
(गह) भूकृ 1 / 1
(त) 1 / 1 स
( कह) व 3 / 1 सक
(अम्ह) 1 / 1 स
अव्यय
केशव दामाद
भोजन के लिए
बैठा
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पुरोहित का
भी
पुत्र
समीप
बैठा
रहा
तब
पुरोहित
आया
मानसहित
पुत्र को पूछता है हे पुत्र !
यहाँ
मेरे द्वारा
रुपया
छोड़ा गया है
कभी-कभी द्वितीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है।
वह
और
किसके द्वारा
लिया गया है।
वह (उसने)
कहता है ( कहा )
मैं
नहीं
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