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________________ केसवजामायरो भोयणत्थं उवविट्ठो पुरोहिअस्स य पुत्तो समीवे ठिओ वट्टइ तया पुरोहिओ समागओ समाणो पुत्ते' पुच्छइ वच्छ एत्थ मए रूप्पगं मुत्तं 4. च केण गहिअं सो कहे अहं म 1. प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ [ ( केसव ) - (जामायर) 1 / 1] (भोयणत्थं) क्रिविअ ( उवविट्ठ) भूकृ 1 / 1 अनि (पुरोहिअ ) 6/1 अव्यय Jain Education International (पुत्त) 1/1 (समीव) 7 / 1 वि (ठिअ ) भूक 1 / 1 अनि (वट्ट) व 3 / 1 सक अव्यय (पुरोहिअ ) 1/1 ( समागअ ) भूकृ 1 / 1 अनि ( समाण) 1 / 1 वि (पुत्त) 7/1 (पुच्छ) व 3 / 1 सक (वच्छ) 8 / 1 अव्यय ( अम्ह ) 3 / 1 स ( रुप्पग ) 1 / 1 (मुत्त) भूक 1 / 1 अनि (त) 1 / 1 स अव्यय (क) 3 / 1 स (गह) भूकृ 1 / 1 (त) 1 / 1 स ( कह) व 3 / 1 सक (अम्ह) 1 / 1 स अव्यय केशव दामाद भोजन के लिए बैठा For Private & Personal Use Only पुरोहित का भी पुत्र समीप बैठा रहा तब पुरोहित आया मानसहित पुत्र को पूछता है हे पुत्र ! यहाँ मेरे द्वारा रुपया छोड़ा गया है कभी-कभी द्वितीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। वह और किसके द्वारा लिया गया है। वह (उसने) कहता है ( कहा ) मैं नहीं 337 www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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