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सो विजयरामो
भूसज्जाए
विजयरामो
वि
निग्गओ
6.
अहुणा
केवलं
केसवो
जामायरो
तत्थ
थिओ
संतो
गंतुं
नेच्छइ
पुरोहिओ वि
केसवजामाउण निक्कासणत्थं
jal.
विआरेइ एगया नियपुत्तस्स कण्णे किंचि
कहिऊण
जया
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(त) 1 / 1 स (विजयराम ) 1/1
[ (भू) - (सज्जा ) 3 / 1] (विजयराम) 1/1
अव्यय
( निग्गअ ) भूक 1 / 1 अनि
अव्यय
अव्यय
(केसव ) 1/1
(जामायर) 1/1
अव्यय
(थिअ) भूक 1 / 1 अनि
(संत) 1 / 1 वि
(गंतुं) हे
अ
[ (न) + ( इच्छइ ) ] न (अ)
( इच्छ) व 3 / 1 सक
(पुरोहिअ ) 1/1
अव्यय
[ ( केसव ) - (जामाउ ) 2 / 1] (निक्कासणत्थं) क्रिविअ
( जुत्ति) 2 / 1
( विआर) व 3 / 1 सक
अव्यय
[(f) fa-(ya) 6/1]
(कण्ण) 7/1
अव्यय
अव्यय
(कह) संकृ
अव्यय
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वह
विजयराम
भूशय्या
विजयराम
भी
निकाला गया
अब
केवल
केशव
दामाद
वहाँ
ठहरा
रहा
जाने के लिए
नहीं,
इच्छा करता है (की)
पुरोहित
से
भी
केशव दामाद को
निकालने के लिए
युक्ति
विचारता है
एक बार
निज
कान में
कुछ
भी
पुत्र के
कहकर
जब
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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