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पंचमीकन्नगाए
विवाहमहूसवो
पारद्धो
विवाहे
चउरो
जामाउणो
समागया
पुणे
विवाहे
जामायरेहिं'
विणा
सव्वे
संबंधिणो
नियनियघरे
गया
जामायरा
भोयणलुद्धा
गेहे
गंतु
न
इच्छं
पुरोहिओ
विआरेइ
सासूए
अईव
पिया
जामायरा
1.
318
[ ( पंचमी) वि - ( कन्नगा ) 6 / 1 ]
[ (विवाह) - (महूसव) 1 / 1]
(पार) भूकृ 1 / 1 अनि
(विवाह) 7/1
(चउ) 1/2 वि
(जामाउ ) 1/2
[(सम) + (आगया)] [ ( सम) अव्यय - (आगय)
भूक 1/2 अनि ]
(पुण्ण) 7 / 1 वि
(faars) 7/1
(जामायर) 3/2
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अव्यय
(सव्व) 1/2 सवि
(संबंधि) 1/2
[ ( निय) वि - ( निय) वि - (घर) 7 / 2]
( गय) भूकृ 1 / 2 अनि
( जामायर) 1 / 2
[ ( भोयण) - (लुद्ध) 1/2]
(गेह) 7/1
(तु) हे अनि
अव्यय
( इच्छ) व 3 / 2 सक
(पुरोहिअ ) 1/1
(विआर) व 3 / 1 सक
(सासू) 6/1
अव्यय
( पिय) 1/2 वि
(जामायर) 1/2
'बिना' के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
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पाँचवीं कन्या का
विवाह महोत्सव
प्रारम्भ हुआ
विवाह में
चार
दामाद
साथ-साथ आये
पूर्ण होने पर
विवाह
दामादों के
बिना ( अलावा)
सब
संबंधी
अपने-अपने घर में
गये
दामाद
भोजन के लोभी
घर में
जाने के लिए
नहीं
इच्छा करते हैं
पुरोहित
विचार करता है
के
सासू
अत्यन्त
प्रिय हैं
दामाद
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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