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और
पुत्रवधू के यथार्थ वचन को
पुत्तवहए जहत्थवयणं सोऊण लच्छीदासो वि पडिबुद्धो
अव्यय (पुत्तवहू) 6/1 [(जहत्थ)-(वयण) 2/1] (सोऊण) संकृ अनि (लच्छीदास) 1/1 अव्यय (पडिबुद्ध) 1/1 वि (वुडत्तण) 7/1
सुनकर लक्ष्मीदास
भी
ज्ञानी
वुड्डत्तणे
बुढ़ापे में
वि
अव्यय
भी
(धम्म) 1/1
धर्म
धम्म आराहिअ
पाला गया
सग्गई पत्तो सपरिवारो
(आराह) भूकृ 1/1 (सग्गइ) 1/1 (पत्त) भूकृ 1/1 अनि (सपरिवार) 1/1
सन्मार्ग प्राप्त किया
सपरिवार
व्याकरण के नियमानुसार यहाँ 'आराहिअं' होना चाहिए। यहाँ सकर्मक क्रिया से बने हुए भूतकालिक कृदन्त का कर्तृवाच्य में प्रयोग हुआ है।
2.
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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