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कम्पपरिणामवसओ जणय-जणणी-भायामाउलेहिं पुढो-पुढो वराणं दिन्ना
[(कम्म)-(परिणाम)-(वस) 5/1] [(जणय)-(जणणी)-(भाय)(माउल) 3/2] अव्यय (वर) 4/2 (दिन्ना) भूक 1/1 अनि
कर्मफल के वश से पिता, माता, भाई और मामा के द्वारा अलग-अलग वरों के लिए दे दी गई
2.
चउरो
(चउ) 1/2 वि अव्यय
(त) 1/2 स
वरा
।
एगम्मि
चेव
दिणे
परिणे
आगया
विवाह करने के लिए
आ गये परस्पर आपस में
परोप्परं
कलहं
कलह करते हैं (करने लगे)
कुणन्ति
(वर) 1/2 (एग) 7/1 वि अव्यय (दिण) 7/1 (परिण) हेकृ (आगय) भूकृ 1/2 अनि (परोप्पर) 2/1 क्रिवि (कलह) 2/1 (कुण) व 3/2 सक अव्यय (त) 6/2 स (विसम) 7/1 वि (संगाम) 7/1 (जा-जाअ) वकृ 7/1 [(बहु)-(जण)-(क्खय) 2/1] (दह्ण) संकृ अनि (अग्गि) 7/1 (पविठ्ठ) भूकृ 1/1 अनि
तब
उनके
तओ तेसिं विसमे संगामे जायमाणे
विषम संग्राम में उत्पन्न होते हुए बहुत मनुष्यों के क्षय को
बहुजप्पक्खयं
देखकर
दहूण अग्गिम्मि पविट्ठा
आग में प्रविष्ट हुई
1.
इस शब्द के कर्म, करण और अपादान के एकवचन के रूप क्रियाविशेषण की भाँति प्रयुक्त होते हैं। आप्टे: संस्कृत हिन्दी कोश।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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