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किं-किं
क्या-क्या
नहीं
करते हैं
तुम
कुणन्ति तुमं सुहेण भोयणं करेहि
(किं) 1/1 स अव्यय (कुण) व 3/2 सक (तुम्ह) 1/1 स (सुह) 3/1 क्रिविअ (भोयण) 2/1 (कर) विधि 2/1 सक अव्यय अव्यय (एअ) 2/1 सवि (पुत्त) 2/1 (जीवअ) भवि 1/1 सक
सुखपूर्वक भोजन करो पीछे
पच्छा
इस
पुत्तं जीवइस्सामि तओ
पुत्र को जीवित कर दूंगी
अव्यय
तब
(त) 1/1 स
वह
अव्यय
भी
भोयणं
भोजन
विहिऊण
करके
सिग्छ
शीघ्र
उट्टिओ
उठा
जाव ताव
तीए
(भोयण) 2/1 (विह) संकृ अव्यय (उट्ठ) भूकृ 1/1
अव्यय (ती) 3/1 स [(णिय) वि-(घर)-(मज्झ) 5/1] [(अमय)-(रस)(कुप्प) 2/1 य स्वार्थिक] (आण) संकृ (जलण) 7/1 (छडुक्खे व) 1/1 (कअ) भूकृ 1/1 अनि (बाल) 1/1 (हस) वकृ 1/1
उसी समय उसके द्वारा निज घर के भीतर से अमृतरस के घड़े को
णियघरमज्झाओ अमयरसकुप्पयं
लाकर अग्नि में
आणिऊण जलणम्मि छडुक्खेवो कओ बालो हसंतो
छिड़काव किया गया
बालक
हँसता हुआ
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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