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तीए
उसके
मुहाओ
धम्मो पत्तो धम्मपत्तीए
मुख से धर्म प्राप्त किया गया धर्म लाभ में
छम्मासा
छ: मास
जाया
(ती) 6/1 स (मुह) 5/1 (धम्म) 1/1 (पत्त) भूक 1/1 अनि [(धम्म)-(पत्ति) 7/1] (छम्मास) 1/1 (जाय) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (पुत्तवहू) 3/1 (छम्मास) 1/1 (कह) भूकृ 1/1 (त) 1/1 स (जुत्त) 1/1 वि
तओ
पुत्तवहूए
इसलिए पुत्रवधू के द्वारा छ: मास कहे गये
छम्मासा कहिआ
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पूछा गया उसके द्वारा
कहा गया
रत्तीए
समयधम्मोवएसपराए
(पुत्त) 1/1 अव्यय (पुट्ठ) भूकृ 1/1 अनि (त) 3/1 स अव्यय (उत्त) भूकृ 1/1 अनि (रत्ति) 7/1 [(समय)-(धम्म)+ (उवएस)-(पराए)] [(समय)-(धम्म)-(उवएस)-(पर) 3/1 वि] (भज्जा ) 3/1 [(संसार)-(असार)-(दंसण) 3/1] [(भोग)-(विलास) 6/2] अव्यय [(परिणाम)-(दुह)-(दाइत्तण) 3/1] [(वासा)-(णई)-(पूर)-(तुल्ल)(जुव्वणत्तण) 3/1]
रात्रि में सिद्धान्त और धर्म के उपदेश में लीन
भज्जाए संसारासारदसणेण भोगविलासाणं
पत्नी के द्वारा संसार में असार के दर्शन से भोगविलास के
और परिणाम दुःखदाईपन से वर्षा नदी के जल प्रवाह के समान यौवनावस्था के कारण
परिणामदुहदाइत्तणेण वासाणईपूरतुल्लजुव्वणत्तणेण
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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