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को
कौन
(क) 1/1 सवि अव्यय
वा
तथा
जाणदि
(जाण) व 3/1 सक क्रिविअ
जानता है विशेषरूप से
विसेसेण
23.
राओ
(राअ) 1/1
राजा
(अम्ह) 1/1 स
भिच्चो
दास (सेवक)
सिट्ठी
नगर सेठ
चेव
दुर्बल/निर्बल
दुब्बलो बलिओ
बलवान
(भिच्च) 1/1 (अम्ह) 1/1 स (सिट्ठी) 1/1 (अम्ह) 1/1 स अव्यय (दुब्बल) 1/1 वि (बलिअ) 1/1 वि
अव्यय [(एगत्त-एयत्त)+ (आविट्ठो)][(एयत्त)
आविट्ठो (आविट्ठ) भूकृ 1/1 अनि] (दु) 6/2 वि (भेय) 2/1 अव्यय (बुज्झ) व 3/1 सक
इदि
एयत्ताविट्ठो
ilan.l.4.+111111:111nil..
इस प्रकार एक ही स्थान में, प्रविष्ट दोनों के भेद को
दोण्हं भेयं
ण
नहीं जानता है
बुज्झेदि
24.
विरला णिसुणहि तच्चं
(विरल) 1/2 वि
विरले (णिसुण) व 3/2 सक
सुनते हैं (तच्च) 2/1
तत्त्व को (विरल) 1/2 वि
विरले (जाण) व 3/2 सक
जानते हैं (तच्च) पंचमी अर्थक 'दो' प्रत्यय क्रिवि तत्त्वरूप से ही
विरला
जाणंति
तच्चदो
1. 2.
अपभ्रंश का प्रत्यय है। देखें, श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 206 पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 132-133
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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