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पाठ-9 अमंगलियपुरिसस्स कहा
अमंगलियपुरिसस्स
अमांगलिक पुरुष की
[(अंमगलिय)-(पुरिस) 6/1] (कहा) 1/1
कहा
कथा
एगम्मि
एक नगर में
नयरे
एक
एगो अमंगलिओ
अमांगलिक मूर्ख
मुद्धो
पुरुष
पुरिसो आसि
(एग) 7/1 वि (नयर) 7/1 (एग) 1/1 वि (अमंगलिय) 1/1 वि (मुद्ध) 1/1 वि (पुरिस) 1/1 (अस) भू 3/1 अक (त) 1/1 स (एरिस) 1/1 वि (अस) व 3/1 अक (ज) 1/1 स (क) 1/1 स
था
सो
वह
ऐसा
एरिसो अस्थि
है (था)
जो
जो
को
कोई
FEEEEEEEEEEEE
वि
अव्यय
पभायंमि
तस्स मुहं पासेइ सो भोयणं
(पभाय) 7/1 (त) 6/1 स (मुह) 2/1 (पास) व 3/1 सक (त) 1/1 स (भोयण) 2/1 अव्यय
प्रात:काल में/प्रभात में उसके मुँह को देखता है
वह भोजन
भी
न
अव्यय
नहीं
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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