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54.
न
अव्यय
नहीं
नियत्तइ नयरजणो धाडिज्जन्तो
लौटता है (लौटते हैं) नागरिक बाहर निकाले जाने पर
वि
भी
दण्डपुरिसेहिं
सेनापति द्वारा
ताव
(नियत्त) व 3/1 अक (नयरजण) 1/1 (धाड) कर्म वकृ 1/1 अव्यय [(दण्ड)-(पुरिस) 3/2] अव्यय अव्यय [(दिवस)-(अवसाण) 7/1] (सूर) 1/1 (अत्थ) भूकृ 1/1 अनि (समल्लीण) 1/1 वि
तब तक
दिवसवसाणे सूरो अत्थं समल्लीणो
दिन का अन्त होने पर सूर्य अस्त हुआ
लीन
55. नयरीए मज्झयारे दिटुं चिय जिणहरं मणभिरामं
(नयरी) 6/1 (मज्झयार) 7/1 (दिट्ठ) भूकृ 1/1 अनि
नगरी के मध्य में
देखा गया
अव्यय
जिनमन्दिर मन के लिए रुचिकर
हरिसियरोमञ्चइया
हर्ष से पुलकित
(जिणहर) 1/1 [(मण)+ (अभिरामं)] [(मण)-(अभिराम) 1/1 वि] [(हरिस- ‘इय' स्वा (हरिसिय)(रोमञ्चइय) 1/2 वि अव्यय (पविठ्ठ) भूकृ 1/2 अनि [(परम)-(तुट्ठ) वि 1/2]
तत्थ
उसमें प्रवेश किया
पविट्टा
परमतुट्ठा
अत्यन्त प्रसन्न
1.
व्याकरण के नियमानुसार यहाँ ‘अत्थो' होना चाहिए।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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