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32. कह कह वि.
अव्यय
किसी तरह शरणरहित के लिए प्राप्त किये गये
हो
अणाहाए लद्धो सि मणोरहेहि बहुएहिं होहिसि पुत्ताऽऽलम्बो
(अणाह-अणाहा) 4/1 वि (लद्ध) भूकृ 1/1 अनि (अस) व 2/1 अक (मणोरह) 3/2 (बहुअ) 3/2 वि (हो) भवि 2/1 अक [(पुत्त)+(आलम्बो)] पुत्त (पुत्त) 8/1 आलम्बो (आलम्ब) 1/1 (पारोह) 1/1
मनोरथों के द्वारा बहुत से होवोगे हे पुत्र, आलम्बन
पारोहो
बीज
चेव
अव्यय
साहाए
(साहा) 4/1
शाखा के लिए
33.
भरहस्स
भरत को
मही दिन्ना ताएणं केगईवरनिमित्तं सन्तण
पृथ्वी दी गई पिता के द्वारा कैकेयी के वर के कारण होने के कारण
मए
(भरह)' 4/1 (मही) 1/1 (दिन्न) भूकृ 1/1 अनि (ताअ) 3/1 [(केगई)-(वर)-(निमित्त) 1/1] (सन्त) 3/1 वि (अम्ह) 3/1 स [(न)+ (इच्छइ)] न (अ) इच्छइ (इच्छ) व 3/1 सक (एत) 1/1 सवि (कुमार) 1/1 (मही) 2/1 (भोत्तुं) हेकृ अनि
मेरे
नेच्छ
नहीं,
इच्छा करता है
एस
यह
कुमारो. महिं भोत्तुं
कुमार पृथ्वी को भोगने के लिए
1.
'देने' के योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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