________________
हत्थछित्तं गयणयलं
हाथ से छुआ हुआ गगन-तल
वाहलिया
क्षुद्र नदियाँ
[(हत्थ)-(छित्त) 1/1 वि] [(गयण)-(यल) 1/1] (वाहलिया) 1/2 अव्यय (समुद्द) 1/2 (साहसवंत) 4/2 वि (पुरिस) 4/2
जैसे कि
समुद्र
समुद्दा साहसवंताण पुरिसाणं
साहसी के लिए पुरुषों के लिए
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
197
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org