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निरारंभो
पव्वए
(निरारंभ) 1/1 वि (पव्वअ) 7/1 (अणगारिय) 2/1 वि
हिंसा-रहित दीक्षा में साधु सम्बन्धी (में)
अणगारियं
32.
एवं
अव्यय
इस प्रकार
चिंतइत्ताणं पासुत्तो
मि
विचार करके सोया हूँ (था) हे राजा! क्षीण होती हुई
नराहिवा
परियत्तंतीए
अव्यय (चिंत) संकृ (पासुत्त) भूकृ 1/1 अनि (अस) व 1/1 अक (नराहिव) 8/1 (परियत्त वकृ-परियत्तंत(स्त्री) परियत्तती) वकृ 7/1 (राई) 7/1 (वेयणा) 1/1 (अम्ह) 6/1 स (खय) 2/1 (गय-गया) भूकृ 1/1 अनि
राईए
वेयणा
रात्रि में पीड़ा मेरी विनाश को गई (प्राप्त हुई)
खयं
गया
33. तओ कल्ले पभायम्मि
तब निरोग
प्रभात में
आपुच्छित्ताण बंधवे खंतो
अव्यय (कल्ल) 1/1 वि (पभाय) 7/1 (आपुच्छ) संकृ (बंधव) 2/2 (खंत) 1/1 वि (दंत) 1/1 वि (निरारंभ) 1/1 वि (पव्वइअ) भूकृ 1/1 अनि
पूछकर बन्धुओं को क्षमायुक्त जितेन्द्रिय हिंसा-रहित प्रवेश कर गया
दंतो
निरारंभो पव्वइओ
1. 2.
पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 755 कभी-कभी सप्तमी के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-138)
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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