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पाठ-4
वज्जालग्ग
दुक्खं
बड़ी कठिनाई से रचा जाता है
कीरइ
कव्वं
काव्य
कव्वम्मि
कए
पउंजणा
क्रिवि (कीरइ) व कर्म 3/1 सक अनि (कव्व) 1/1 (कव्व) 7/1 (कअ) भूकृ 7/1 अनि (पउंजणा) 1/1 क्रिविअ (संत) 7/1 वि (पउंज) व 7/1 (सोयार) 1/2 (दुल्लह) 1/2 वि (हु) व 3/2 अक
दुक्खं
काव्य (रच लेने) पर किए (रचे) हुए होने पर पाठ बड़ी कठिनाई से होने पर पाठ करते हुए (होने पर) श्रोता
संते पउंजमाणे
सोयारा
दुल्लहा
दुर्लभ
हुति
होते हैं
2.
गाहा
गाथा
रुअइ
रोती है
अणाहा
अनाथ
सिर पर
सीसे काऊण
(गाहा) 1/1 (रुअ) व 3/1 अक (अणाह-अणाहा) 1/1 वि (सीस) 7/1 (काऊण) संकृ अनि (दो) 2/1 वि अव्यय (हत्थ(स्त्री)हत्था) 2/2 (सुकइ) 3/2 [(दुक्ख)-(रइया) भूकृ 1/1]
रखकर दोनों
हत्थाओ सुकईहि दुक्खरइया
हाथों को अच्छे कवियों द्वारा कठिनाई से रचित
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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