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तओ
अव्यय
तब
सो
(त) 1/1 सवि
वह
पहसिओ राया सेणिओ
हँसा (हँस पड़ा) राजा श्रेणिक
मगहाहिवो
मगध का शासक
एवं
जैसे
(पहस) भूकृ 1/1 (राय) 1/1 (सेणिअ) 1/1 [(मगह)+ (अहिवो)] [(मगह)-(अहिव) 1/1] अव्यय (तुम्ह) 4/1 स (इड्डिमंत) 4/1 वि अव्यय (नाह) 1/1
अव्यय (विज्ज) व 3/1 अक
इड्डिमंतस्स कहं नाहो
आप (के लिए) समृद्धिशाली के लिए कैसे
नाथ
विज्जई
10.
होमि नाहो भयंताणं भोगे भुंजाहि संजया मित्त-नाईपरिवुडो
होता हूँ नाथ पूज्यों के लिए भोगों को भोगो
(हो) व 1/1 अक (नाह) 1/1 (भयंत) 4/2 वि (भोग) 2/2 (भुंज) विधि 2/1 सक (संजय) 8/1 [(मित्त)-(नाई)-(परिवुड) भूकृ 1/1 अनि] (माणुस्स) 1/1 अव्यय [(सु)-(दुल्लह) 1/1 वि]
हे संयत! मित्रों और स्वजनों से घिरे हुए मनुष्यत्व सचमुच अत्यधिक, दुर्लभ
माणुस्सं
खु सुदुल्लहं
1. 2.
किम्+चित् = कंचित् (2/1) = कंचि = कंची (मात्रा के लिए दीर्घ) अनुस्वार का आगम (हेम प्राकृत व्याकरण 1-26)
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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