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8. ( वहाँ ) एक वृद्धा के द्वारा कहा गया- स्त्रियों के मध्य में इसकी पुत्र-वधू श्रेष्ठ है । यौवन की अवस्था में भी वह सासू की भक्ति में लीन (तथा) धर्म कार्य में भी अप्रमादी है, गृहकार्यों में भी कुशल ( उसके ) समान अन्य नहीं है। इसकी सासू अभागी है ऐसी भक्ति प्रेमी पुत्रवधु द्वारा धर्म - कार्य में प्रेरित किए जाते हुए भी धर्म नहीं करती है। इसको सुनकर बहू के गुणों से प्रसन्न हुई ( मेरे द्वारा ) उसके मुख से धर्म प्राप्त किया गया। धर्म- -लाभ में छः मास हुए । इसलिए पुत्रवधु के द्वारा छः मास कहे गये, वह
युक्त है।
9. पुत्र भी पूछा गया, उसके द्वारा भी कहा गया- रात्रि में सिद्धान्त और धर्म के उपदेश में लीन पत्नी के द्वारा संसार में असार के दर्शन से और भोगविलास के परिणाम के दुःखदाईपन से, वर्षा नदी के जल-प्रवाह के समान यौवनावस्था के कारण और देह की क्षणभंगुरता से, जगत में धर्म ही सार (है), इस प्रकार बताया गया मैं सर्वज्ञ के धर्म का आराधक बना, आज पाँच वर्ष पूरे हुए, इसलिए बहू के द्वारा मुझको लक्ष्य करके पाँच वर्ष कहे गए, वह सत्य है। इस प्रकार कुटुम्ब के लिए धर्म-लाभ की वार्ता से विदुषी पुत्रवधु के यथार्थ वचन को सुनकर लक्ष्मीदास भी ज्ञानी (हुआ) और बुढ़ापे में (उसके द्वारा ) भी धर्म पाला गया । ( उसने ) सपरिवार सन्मार्ग प्राप्त किया ।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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