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परिचत्ता अत्तकामेहिं
(परिचत्ता) भूकृ 1/1 अनि (अत्तकाम) 3/2 वि
छोड़ी हुई आत्म स्वरूप को चाहनेवालों के द्वारा
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(तुम्ह) 1/1 स (अस) व 2/1 अक अव्यय (त) 1/1 सवि
निःसन्देह
वह
अव्यय
ही
जिसको
हंतव्वं
(ज) 2/1 स (हंतव्व) विधिकृ 1/1 अनि अव्यय
मारे जाने योग्य
ति
देख
मन्नसि
(मन्न) व 2/1 सक
मानता है
(तुम्ह) 1/1 स (अस) व 2/1 अक अव्ययय (त) 1/1 सवि
निःसन्देह
वह
अव्यय
जिसको
(ज) 2/1 स (अज्जाव) विधिकृ 1/1
शासित किये जाने योग्य
अज्जावेयव्वं ति मन्नसि
अव्यय
देख
(मन्न) व 2/1 सक
मानता है
22.
तुंगं
मंदराओ
आगासाओ विसालयं नत्थि
(तुंग) 1/1 वि
ऊँचा अव्यय
नहीं (मंदर) 5/1
मेरु पर्वत से (आगास) 5/1
आकाश से (विसाल) स्वार्थिक 'य' प्रत्यय 1/1 वि विस्तृत अव्यय अव्यय
जैसे
नहीं
जह
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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