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(मंगल) 1/1
मंगल
मंगलं 3-5. अरहंता
अरहंत मंगल
मंगलं सिद्धा मंगलं
सिद्ध
मंगल
साहू
साधु मंगल
केवली द्वारा उपदिष्ट
मंगलं केवलिपण्णत्तो धम्मो मंगलं
धर्म
मंगल
अरहंता
अरहंत लोक में उत्तम
लोगुत्तमा
सिद्ध
सिद्धा लोगुत्तमा
(अरहंत) 1/2 (मंगल) 1/1 (सिद्ध) 1/2 (मंगल) 1/1 (साहु) 1/2 (मंगल) 1/1 [(केवलि)-(पण्णत्त) भूक 1/1 अनि] (धम्म) 1/1 (मंलग) 1/1 (अरहत) 1/2 [(लोग)+(उत्तमा)] [(लोग)-(उत्तम) 1/2 वि] (सिद्ध) 1/2 [(लोग) + (उत्तमा)] [(लोग)-(उत्तम) 1/2 वि] (साहु) 1/2 [(लोग) + (उत्तमा)] [(लोग)-(उत्तम) 1/2 वि] [(केवलि)-(पण्णत) भूकृ 1/1 अनि] (धम्म) 1/1 [(लोग) + (उत्तमो)] [(लोग)-(उत्तम) 1/1 वि] (अरहंत) 2/2 (सरण) 2/1 (पव्वज्ज) व 1/1 सक (सिद्ध) 2/2 (सरण) 2/1
लोक में उत्तम
साधु
साहू लोगुत्तमा
केवलिपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमो
लोक में उत्तम केवली द्वारा उपदिष्ट धर्म
अरहते सरणं पव्वज्जामि सिद्धे सरणं
लोक में उत्तम अरहंतों की शरण में जाता हूँ सिद्धों की शरण में
1.
'जाना' अर्थवाली क्रियाओं के साथ द्वितीया होती है।
128
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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