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पाठ-1 मंगलाचरण
1.
नमस्कार
णमो अरहताणं
णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो
अव्यय (अरहत) 4/2 अव्यय (सिद्ध) 4/2 अव्यय (आयरिय) 4/2 अव्यय (उवज्झाय) 4/2 अव्यय (लोअ) 7/1 [(सव्व) वि-(साहु) 4/2]
अरहंतों को नमस्कार सिद्धों को नमस्कार आचार्यों को
नमस्कार उपाध्यायों को
उवज्झायाणं'
णमो
लोए सव्वसाहूणं
नमस्कार लोक में सब साधुओं को
2.
यह
एसो पंचणमोकारो सव्वपावप्पणासणो
पंच-नमस्कार
(एत) 1/1 सवि [(पंच) वि-(णमोक्कार) 1/1] [(सव्व) वि-(पाव)-(प्पणासण) 1/1 वि] (मंगल) 6/2 अव्यय (सव्व) 6/2 सवि (पढम) 1/1 वि
मंगलाणं
सब पापों का नाश करनेवाला मंगलों में
और सभी
सव्वेर्सि पढम
प्रथम होता है
हवइ
(हव) व 3/1 अक
1. 2.
‘णमो' के योग में चतुर्थी होती है। जिस समुदाय में से एक छाँटा जाता है उस समुदाय में षष्ठी अथवा सप्तमी होती है।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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