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धर्म
धम्मो मंगलमुक्किट्ठ
कल्याण, सर्वोच्च
अहिंसा
संयम
अहिंसा संजमो तवो देवा
तप
(धम्म) 1/1 [(मंगल)+ (उक्किट्ठ)] मंगलं (मंगल) 1/1 वि उक्किट्ठ (उक्किट्ठ) 1/1 वि (अहिंसा) 1/1 (संजम) 1/1 (तव) 1/1 (देव) 1/2 अव्यय (त) 2/1 स (नमंस) व 3/2 सक (ज) 6/1 स (धम्म) 7/1 अव्यय
वि
तं
नमसंति जस्स धम्मे
उसको नमस्कार करते हैं जिसका धर्म में
सया
सदा
मणो
(मण) 1/1
मन
पिए
भोए
(ज) 1/1 स अव्यय
और (कंत) 2/2 वि
मनोहर (को) (पिअ) 2/2 वि
प्रिय (को) (भोअ) 2/2
भोगों को लद्धे (लद्ध) भूक 2/2 अनि
प्राप्त किये गये विपिट्ठिकुव्वइ [(विपिट्ठ') मूलशब्द 2/1
पीठ, करता है कुव्वइ (कुव्व) व 3/1 सक] साहीणे [(स)+ (अहीणे)
स्व-अधीन (को) (स)-(अहीण) 2/2 वि] चयइ (चय) व 3/1 सक
छोड़ता है (भोअ) 2/2
भोगों को 1. किसी भी कारक में मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जाता है। (पिशल प्राकृत भाषा व्याकरण,
पृष्ठ 517) यह नियम विशेषण पर भी लागू किया जा सकता है।
भोए
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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