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(यह ) इसी प्रकार ( है ) किसी तरह किसी (स्नेही) के लिए भी किसी (स्नेही) के द्वारा देख भी लिया जाने से परितोष होता है । ( ठीक ही है) सूर्य से कमल - ल - समूहों का ( स्नेह के अतिरिक्त और ) क्या प्रयोजन जिससे (वे) खिलते हैं?
कहाँ से (तो) सूर्य उदय होता है ? और कहाँ कमलों के समूह खिलते हैं ? ( यह सच है कि) जगत में दूर स्थित भी सज्जनों का स्नेह चलायमान नहीं (होता है) ।
दूसरे (व्यक्ति) के विद्यमान तथा अविद्यमान कहे हुए दोषों से क्या (लाभ)? (इससे) (उसके द्वारा) अर्थ (और) यश ( कभी ) प्राप्त नहीं किया जाता है, (किन्तु ) ( इससे ) वह शत्रु बनाया गया होता है।
कुल से शील ( चारित्र) श्रेष्ठतर है; तथा रोग से निर्धनता ( अधिक) अच्छी है; राज्य से विद्या श्रेष्ठतर है तथा अच्छे तप से क्षमा श्रेष्ठतर है ।
कुल से शील ( चारित्र) श्रेष्ठतर है ? विनष्ट शील ( चारित्र) के (होने) पर (उच्च) कुल के द्वारा क्या (लाभ) होता है ? कमल कीचड़ में उत्पन्न होते हैं, (किन्तु ) मलिन नहीं होते हैं ।
( यदि सच यह है) कि समर्थ ही क्षमा करता है, और (यदि सच यह है) कि धनवान गर्व धारण नहीं करता है, और (यदि सच यह है) कि विद्यायुक्त नम्र होता है, (तो) उन तीनों के द्वारा पृथ्वी अलंकृत (होती है)।
जो (योग्य व्यक्ति की ) इच्छा का अनुसरण करता है, ( उसके ) मर्म का रक्षण करता है, गुणों को प्रकाशित करता है, वह न केवल मनुष्यों का ( किन्तु) देवताओं का भी प्रिय होता है ।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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