________________ कर्म : चौथा आयाम कुछ समय पहले तक विज्ञान तीन आयामों से परिचित था-लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई। ये हमारे जगत् के तीन आयाम हैं। प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन के पश्चात् चौथे आयाम की स्थापना हुई। आज का वैज्ञानिक जगत् चार आयामों से परिचित है। चौथा आयाम है-काल की अवधारणा। इससे बहुत क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ, अतीत की यात्रा का उद्घाटन हो गया। इससे पीछे की ओर लौटना संभव हो गया। ____ कर्म-शास्त्र के क्षेत्र में चौथे आयाम की बात पहले से ही स्वीकृत थी और पांचवें आयाम की बात भी बहुत स्पष्ट थी। उसमें चौथा आयाम है-अदृश्य और पांचवां आयाम है-अमूर्त।। ___एक तत्त्व ऐसा भी है जिसकी लम्बाई नहीं, चौड़ाई नहीं और ऊंचाई भी नहीं / वह किसी भी उपकरण के द्वारा दृश्य नहीं है। सूक्ष्मतम उपकरण भी उसे नहीं पकड़ पाते, देख नहीं पाते। उसे हम अदृश्य इसलिए कहते हैं कि वह हमारे चर्म-चक्षुओं द्वारा दृश्य नहीं है। वह दृश्य है अतीन्द्रिय शक्तियों के द्वारा। ___पांचवां आयाम हैं-अमूर्त। वह वर्ण, रस, गंध और स्पर्श से अतीत है। इस अमूर्त के साथ कर्म का सम्बन्ध है, इसलिए हमें पांचवें आयाम तक यात्रा करनी पड़ेगी। _ पहले चौथे आयाम की यात्रा पर चलें। हमारे शरीर में जो ग्रंथियों के स्त्राव हैं, उनका कार्य हमारे स्थूल शरीर में ही होता है। उनका पूरा सम्बन्ध स्थूल शरीर से ही है। ये ग्रंथियां स्थूल शरीर के अवयव हैं। इनसे शरीर और मन प्रभावित होता है। कर्म का सम्बन्ध स्थूल शरीर से नहीं है। उसका सम्बन्ध है सूक्ष्म कर्म : चौथा आयाम 15