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(४.) . सामान्य रीते तो शेठ, सार्थवाह, राजा, महाराजा, चक्रवर्ती, देव, देवेन्द्रो, ब्रह्मा, विष्णु, महेश विगेरे सर्वने ऐश्वर्य होय छे वली पा ऐश्वर्य तो संसारना भौक्तिक सुख पूरतु होय छे परन्तु अष्ट प्रतिहार्य अने चौत्रीश अतिशय विगेरे परम ऐश्वर्य - तो अरिहंत भगवंतो ने ज होय छे वली ए ऐश्वर्य जैन शासन ने प्राप्त करवामां परम आलंबन रूप. बने छे माटे परम ऐश्वर्य बाला एवु विशेषण ग्रहण कर्य छे. ......... - . धान्यनी प्राप्ति माटे जेम योग्य भमि, योग्य बीज अने वृष्टि प्रादि योग्य सामग्री नी आवश्यकता होय छे तेम धर्म नी प्राप्ति माटे पण योग्य जीव, अने योग्य धर्म देशना आदि सामग्रीनी पण आवश्यकता होय छे. संसार नी असारता, विषय नी विरागता, कषाय नी महत्ता अने धर्म बीज नुआरोपण पण धर्म देशना द्वाराज थाय छे. तेमां पण तीर्थंकर भगवंतो वचनातिशय तेमज ज्ञानातिशय वाला होवाथी मोक्ष योग्य आत्माप्रोमां जल्दी धर्मन - बीजारोपण करी शके छ माटे ऐश्वर्य थी देदिप्यमान एबु विशेषण ग्रहण कयुं छ.. _ 'पुरुषविश्वासे वचन विश्वासः' अर्थात् पुरुषना विश्वासथी तेमना वचन वड़े विश्वास थाय छे. क्रोध, लोभ, भय अने हास्य ए चार भूठ बोलवामां कारण भूत छे. क्रोध लोभ, भयं अने हास्य ए चारे मोहनीय कर्मना