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मेरा पहलापत्र।
काशी सम्बत् १९३७ चैत्र शुक्ला ११ श्री ५ मत्स्वामि दयानन्द सरस्वतीभ्यो नमोनमः ___ जब दर्शन पाया कुछ बात हुई अधूरी रह गयी इच्छा थी फिर दर्शन करूं बन नहीं पड़ा अब सुना आप बाहर पधारने वाले हैं इसलिये उस दिन के अपनेप्रश्न और आपके उत्तर अपने स्मरणानुसार नीचे लिखताहूं यदि भूल हो आप सुधार दें आगे भी कृपा करके इसी पत्र पर कुछ उत्तर लिख भेजें मेरा प्रश्न स्वामीजी महाराजकाउत्तर
१ हम केवल वेदकी संहिता मात्र मानते हैं एक ईशावास्य उपनिषद संहिता है
और सब उपनिषद ब्राह्मण हैं ब्राह्मण हम कोई नहीं मानते सिवाय संहिता के
हम और कुछ नहीं मानते । २ यदि वादी कहे किं २ संहिता स्वयं प्रकाश है आप वेद के ब्राह्मण नहीं अनुभव सिद्ध है। मानते तो हम वेद की संहिता नहीं मानते तो आप संहिता के मण्डन और
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