Book Title: Jain Aur Bauddh ka Bhed
Author(s): Hermann Jacobi, Raja Sivaprasad
Publisher: Navalkishor Munshi

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Page 166
________________ जन्तुओंसे मनुष्य लड़ाये जाते थे,के विशाल भवनके चंदोवा किम देश के वकों का बनाया जाता था ? भारत रेशम, जरी और पत्रीकारी के काम के लिये प्राचीन काल से प्रसिद्ध है। यहाँ के ये वस्त्र रोम में बहुतायत से जाते थे। दतिर में कास्यिस के ज़माने के रोमन सिक्के मिले हैं, इस से यह बात सिद्ध होती है कि पारपात्य देशों में भारत की सभ्यता का नमूना-व्यापार-सूम पमका था। एक बार, इस भारतीय व्यापार से रोम को ऐसा पहा लगा था, कि वहांका बासिन्य व्यापार और शिल्प बने लगा, तब वहां वालों ने एक काना बना कर यहां के माल का बहिष्कार तक कर शला था। अब हम अपने वीरवर भीष्म पितामह को सामने रखते हैं। हमें विश्वास है, कि कोई भी देश इतने भारी महात्मा का गर्व और दावा ही कर सकता। फिर बालक, किन्तु अनन्य वोर अभिमन्युकी भी कोई समता किसी देश नही? ये सब बातें भारत की प्राचीन सभ्यता का घोड़ा सा नमूना दिखाने को कहो गई । महाभारत से भारत का सम्पूर्व शरीर जर्जर हो गया चा, उसके शारीरिक पाव अभी सूखने भी न पाये थेबगुत से तो सह तक गये थे,-कि बुद्ध ने उसको चिकित्सा करनी चाही। बुद्ध का इरादा बहुत ही अच्छा था, यह हम पहले ही कर पाये है, परन्तु जिस प्रोवधि को हाहोंने भारतले मानसिक रोग के लिये उपयोगी समझा पा, वह बिलकुल सटी हुई । " मज़' बढ़ता गया ज्यों न्यों दवा को"। पुरा ने स्वयं पुष नहीं लिखा, उनके पीछे उनके शिष्यों ने उनके उपदेषों को कहा पर पुस्तक का रूप Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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