Book Title: Jain Aur Bauddh ka Bhed
Author(s): Hermann Jacobi, Raja Sivaprasad
Publisher: Navalkishor Munshi

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Page 171
________________ ( १० ) ऋषियों और पूर्वजों का भी ये महात्मा बहा मादर करते थे। बौद्ध धर्म-ध्यानियों के लिये अच्छा होसकता है, परन्तु सर्व साधारण इस से कोई लाभ नहीं उठा सकते। इसके कारण आबादी भी बहुत कुछ घट सकती है। क्योंकि जब जिस के विरक्त भाव हो गये तो गृहस्थ क्यों होने लगा ? मङ्गोलिया और चीन-जहां यह धर्म विशेष जमा हुमा है-तक के साधारण लोग इस धर्म के बहुत से तत्व नहीं समझते । अहिंसा तो वहां है ही नही-लोग कुत्ते बिल्ली तक मार कर खाजाते हैं-व्यभिचार का बहा भयामक प्रचार हो गया है। जब से उन लोगों ने पादरियों का तलाक ( Divorce ) वाला मन्त्र सीखा है, तब से तो इसमें 'बूमन्तर' की सी बढ़ती हुई है। उपरोक्त देशों में किसी किसी मठ में पच्चीस पच्चीस हज़ार तक निठल्ले साधु भरे हुए हैं। इस से वहां की समाजों और उक्त देशों को बड़ा चक्का पहुंचा है। बुद्ध लोगों को समझाने के लिये ऐसी ऐसी मनोहर और उपदेशपूर्ण कथाएं कहते थे, कि उनको स्पति और बहुशता का उन से अच्छा पता लगता है। उनमें से एक दो ये हैं :___ काशी के समीप एक लड़की रहती थी। इसका नाम था कृष्णा गौतमी। इसका विवाह कम अवस्था होगया था। इस से एक लड़के का जन्म हुश्रा। जब वह चलने फिरने लायक हो गया, तब वह मर गया । कृष्णा को अपने बच्चे से असीम प्रेम था। वह उसे गोद में लेकर द्वार द्वार पर औषधि पाने की लालसा से-बच्चे को पुनर्जीवित करने • बाल विवाह को पृथा यहां मुसलमानों के जमाने से नहीं, बाद पानी से पदी चावी । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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