________________
-
चार गुनदूत उसी शहर के पोषोंसे सबसमाचारश हर कालेने रहते हैं फिर किसी प्रनिष्ठित पुरुषके पुत्र का किसी तिथिमें मृत्युका होना बनाने लगने हैं और फिर किसी दूनसे उसको बिष दिवाकरघा न कर देते हैं और अनर्यामी बनकर वर्षों शहरोंको लूटने रहने पस्नुमूर्ख लोग कभी विचार नहीं कर नि किजो यह ऐसे अन्तर्यामीज्योनसी हैं तो हजारों कोश द्रव्य के एथवीमें गुप्त दवे पड़ेहै यह ज्योनिय सि देख कर उनहीं को क्यों नहीं निकाल लेनेशहर
शहर और गाँव गाँवपेमेरकोक्योमारे फिरने हैं देह रिदूनमैएक किस्म के लोग उनको लोग बाकीक हतेहैं उनके ज्योनिय की ऐसी प्रशंसा करते हैं कि वह मानो नीन काल के लाना हमारे जिले सहा रन पुरमें लोउनका ऐसा निश्चय मूर्योकोहै किनिस के चोरी होतीहैया घरमें कोई रोगी होताहै नोस वारुपया बाकी की भेटका ले कर फट पचासकोस पहाइपर दौड़जाने और वाकी उनमूझे कोक छ गप्या सप्या बना देते हैं फिर वहमूर्ख सवारुपया उसे भेटदेकर पचास कोस सफ़र उराकराकर पड़ोसी पड़ोसीसे लड़ने बैटजाने हैं कि बाकी देव जाने बनायाहैकिनेरी बनु नेरे पड़ोसीनेचुराईहै |
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com