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शुद्धोदन था । यह उस समय राजा थे। बुद्ध की माता का नाम मायादेवी था। यह राजा स्वप्रबुद्ध की पुत्री थी।
मायादेवी रूप लावण्य में बहुत प्रसिद्ध थी । मायादेवी के शुभ गुण और उस की प्रतिभा, सुन्दरता से बहुत बढ़े हुए थे, क्योंकि उसे विद्या और धर्म के सर्वोत्कृष्ट और सर्वश्रेष्ठ तत्व प्राप्त हुए थे । शुद्धोदन अपनी रानी के योग्य था, वह नियमानुसार राज्यशासन करता था। शाक्य लोगों में कोई भी राजा अपनी प्रजा से-मस्त्रियों और दरबारियों से लेकर साधारण गहस्थ और व्यापारियों तक से-इतना सन्मानित न हुभा जितना शुद्धोदन हुमा था।
यह श्रेष्ठ घराना सी योग्य था कि इस में महात्मा बुद्ध से जन्म ग्रहण करें। बुद्धदेव क्षत्रिय अर्थात् योहाजाति से थे इसलिये अपने यौवन काल तक योद्धाओं के से कार्य करने योग्य गुण सम्पादन करते रहे और जम अन्त में उन्होंने धार्मिक जीवन स्वीकार किया तो अपने चुराने प्रसिद्ध घराने के नाम से शाक्य मुनि या श्रवण गौतम कहलाये थे। इनके पिता ने इन का नाम सिद्धार्थ या सर्वार्थसिद्ध रक्खा था। इन का यह नाम तब तक रहा जब तक कि युवराज थे।
गर्भवती होने पर प्रसव समय के निकट महारानी मायादेवी अपनी मातामही के लुम्बिनी* नामक उपवन में चली गई। वहां पर उन के गर्भ से उत्तराषाढ़ की
• मातामही लुम्बिशो या लुम्बिनी के नाम से यह उपवन मी लुम्बिी माम, प्रविहाचा । लुम्बिनी उपवन कपिलवस्त के २४ मौख उत्तर पश्चिम था । छ नसार
सान पर गया था। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com