Book Title: Jain Aur Bauddh ka Bhed
Author(s): Hermann Jacobi, Raja Sivaprasad
Publisher: Navalkishor Munshi

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Page 150
________________ ( 1 ) कारण उनका इच्छित क्रमानुसार ठोक २ वर्षन करना कठिन है— सब घटनाओं को ऐतिहासिक तिथियों में विभक्त करना कठिन है । यह मालूम पड़ता है कि शाक्यमुनि काशी में अधिक दिनों नहीं ठहरे । यद्यपि उन्हों ने वहां बहुत से शिष्य किये, किन्तु वह नहीं मालूम पड़ता कि वे वहां बहुत दिन ठहरे हैं। । सूत्रों का अधिकतर भाग यही बतलाता ,, कि बुद्ध का समय गङ्गा हा के उत्तर में, यातो मगध के राजगृह में, या कोयल की अवस्ती नगरी में बीतता इन दो राज्यों में उस के जीवन का लगभग सम्पूर्ण भाग, जे ४० वर्ष का था, बीता था । उपरोक्त दोनों देशों के नरेश उनकी रक्षा करते थे । उन दोनों ने उनका धर्म अङ्गकार कर लिया था । बिम्बसार मगच का राधा ३ । उसने बुद्ध के प्रारम्भिक सन्यास में उन पर जो कुछ कृपा दिखाई थी, उसको पहले ही कह चुके हैं । अपने सम्पूर्ण राज्य-काल में उसने उस कृपा में कमी कमी नहीं की। राजगृह नगय राज्य के लगभग केन्द्र में था। वहां बुद्ध सहवं रहते थे करें। कि वहां से वे ज्ञात पास के देशों में अपने विचारों का प्रचार सुगमता ये सब स्थान बुद्ध को अवश्य ही प्यारे रहे होंगे क्वें। कि उनके बाद ये सब स्थान उनकी स्मृति में पवित्र नावे खाने लगे थे। राजगृह से कोथिमरड मोर तरुबेल कुछ दूर थे । वहां से ६-9 मील की दूरी पर गृह-कूट नाम का एक पहाड़ था । यदि ह्यू नसेङ्ग का कहना सत्य है इसकी एक चोटी के रूप, शाकार से बहुत मिलती पी । यह पर्वत मनोहर दृश्यों से भरा हुआ रहता था ; से कर सकते थे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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