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पा। यह महात्मा बुद्ध की सब से कठिन, किन्तु सब है अधिक बोरवसम्मन विजय घो । अजातशत्रु उन पाठ पुरुषों में से एक है जिसने बुहुने स्पति-चिन्हों का टवारा किया था।
बाई गुह का मगध पर कितना हो प्रेम रहा हो पोनि मगच उनले महाकदिन एकान्तवात और गौरव. सम्पम विजय का रजरपल था पर यह मालूम होता है कि वह अधिकार कौशल में रहा करते थे। यह देश, जिसका काकी को एक भाग है, मगध के उत्तर पश्चिम में स्थित पा। इसको राजधानी वस्ती थी। सबजीत राजा पा । मषस्ती का स्थान प्राधनिक फैजाबाद के भासपास हो रहा होगा। प्रसमजात मे एक निमन्त्रण पत्र भेजाचा, मिसको स्वीकार कर बुद्ध बिम्बसार को इच्छा से बहा गये । अनाच पिराहक या अनाथ पिरहप का प्रसिद्ध धानबाजेतवन कहलाता था, बुद्ध व्यास्थानों से न गया ।नों में जिन जिन व्याख्यानों का सार दिया है लगभग सब हो यही लोगों के कर कुहर में पड़े। मनसा कहता है कि अनाय पिराहक ने, जिस को हिमसीन उदारता और दामोलसाने, निनों और नाबों की सहायता विख्यात धो, यह उद्यान हो राम कर दिया था । अनाप पिराहक राजा प्रमजीला मन्त्री बा। उसने इस सम्पत्ति को बहुत तो व रेकर राधा केह पुत्र जेल से बोल लिया था इस बार उद्यान का नाम त धन पड़ा। अत्यन्त
• परमिशन समान सामीब माम मारों को नपरोमिवावा. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com