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( २२ ) थी, परन्तु तो भी वह उस दिन से बहुत उदास रहने लगी। चाण्डक ने उस से गौरवपूर्ण भविष्य की बातें बहुत कुछ कहीं, पर स्त्री के जलते हुए हदय को शान्त करना कठिन है । वह प्रायः दुःखित ही रहा करती थी। ___ लगातार बहुत से ब्राह्मणों का प्रातिथ्य स्वीकार करते हुए, युवा राजकुमार अन्त में वैशाली के विशाल नगर में पहुंचे । इस समय वैदिक धर्म का प्रचण्ड दीपक टिमटिमा रहा था। इस अंधकार के समय में बहुत से अंधेर-मय सिद्धान्त प्रचलित हो गये थे। जाति का झगड़ा असली प्रयोजन से घटता हटता मूर्खता की अन्तिम श्रेणी को पहुंच गया था। नीच जाति के लोग बिलकुल अंधकार में थे, धर्म को केवल थोड़ी सी ज्योति विद्यमान थी । जैसा कि स्वाभाविक है, ब्राह्मणों की क्रमशः बढ़ती हुई प्रधानता लोगों पर असह्य भार हो रही थी । धर्म केवल नाम मात्र को रगया था। वाममार्ग की प्रमशता थी. । अधर्मसंगत बातों का बड़ा प्रचार हो रहा था। धर्म के नाम से लोगों को पाप में अधिक खूबते हुए देख कर अधर्मयुक्त सिद्धान्तों को उखाड़ने के लिये सिद्धार्थ ने दृढ़ता के साथ तय्यारी कर दी, पर शक है विभान्ति पूर्व कपिल ऋषि का मार्ग अनुवर्तन करने वाला मानी बिहार्य भी एक प्रग फिसल गया और फिर ऐसा गिरा कि घर को ही भूलगया । इन का मत था कि अपने कर्म का फल हर दशा में मिलता है, अपने कम्मो के फल भोगने से कोई बच नही साता लिसे कर्म को प्रधानता दी। वैशाली में पर्युप्रने पर उनके बड़े बाबा विद्वानों को ढूंढ़ कर
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