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बिपत्ती के मारे जमी दारने इनसे पूछा कि महाराज हम रे तो अति नंगी आ गई बस इन्होंने रुट साफे से प त्रा खोल कह दिया कि अभी पढ़ाई बर्ष का और कष्ट रहा है और इस देवता का जप आदि कारा दो तो अभी इसका बल घटजावेगा बस यह सुनकर वह मूर्ख जो कुछ तली नपड़ी घरमें होती है वह भी इन धूर्तो को देकर और भी दारिद्री हो जाताहैजे कभी फिर पोपजी से कहा कि महाराज जो तुमने कहाथा वहमी हमने पुण्य दान आपको दिया नो भी कुछ उन्नति हुई तब पोपजी वोले कि महारा ज धर्मकरते हो वे हान जब भी न छोड़े धर्मकी बान और परमेश्वर अपने भक्तों को कसाही करता है लोग कुछभी बिचार नहीं करने भेडिया धसान के तुल्य एक एक के पीछे कये में गिरते जाते है किसी दूसरे के पाठ करने से अपनी क्या उन्नतिले गीहां उसके पाठ करने वाले कीतो प्रत्यक्ष उन्नतिहो गई मुल धन मिलगया और जो कोई प्राप दीकि मी पुस्तक का पाठ करे तो इतनाही फायदा होग किवह पाठ उसको कंठस्थ हो जावेगा और जो पाठ पूजा करने कराने से पदार्थ आपड़े तो पोप जी प्रायही राजा न होबैठें भीक मांगने क्यों फिरं
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