________________
सन्तानों की सूम बूम भले प्रकार करनी चाहिये क्योकि आजकल प्रविद्याकै कारण स्वयंबर की रीतितोकुरू कालपाकर प्रचलित होती दीखती है. परन्तु कन्या मा दि केमाना पितादिको तो बश्यवर कन्या के गुणक्र म विचारकर बिवाह पूर्वोक्त रीति करना चाहिये और जैसे हमारे जोनशी जी बिवाह सुमाते हैं इसका नाम सूरु तो नहीं जो तशी जी को उन्माद रोग समझना चाहिये "देखो बरकन्या का योग मिलाना थानोतशी जी राहुके तु आकाश के तारोंका योग मिलाने लगे भला देखो जो दम किसीसे कहैं कि हमारे पास एक घोड़ा है तुम इस को देखे लो और इसी के योग का दुसरा घोड़ा मिलाकर मोल लाड़ो जो गाडी में नोड़ी लगाई जावे और वोहम् र्ख घोड़े के मिलान की तो परीक्षा करे नहीं और विन्ध्या चल और हिमालय पहाड़ के फ़ासले देख दास्य कर और प्रयोग्य घोड़ा ले आवेतो यह सूमहै या अनम बस जोनशी जीनेनतो यह देखाकि लड़का लड़की पूरी विद्या भी पढ़चुकेया नहीं और लड़के लड़की ने सीतला आदि भयंकर रोगों से भी छुट्टी पाली वा नहीं बस अन्धों की तुल्य मंगल बुद्ध विचार अनुराधाधनि । ष्ठा चुकार थाली में गुड़ आदिमंगा गंगाजल उज्जल और जमताजलनिर्मल चिठ्ठीमे लिख पत्री
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com