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तो बड़े परिश्रम से सोच कर उनका अंगरेजो, मन, जर्मन श्रादि.भाषाओं में अनुवाद किया है। खेद है कि बिन महात्मा बुद्ध के विचारों को अन्य देशों में इतनी कदर हो रही है, उनका कोई विस्तृत जीवन-चरित्र अब तक भारत की भावी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी में नहीं प्रका. शित हुप्रा । इस प्रभाव को देख कर, कुंवर हनुमन्तसिंह रघुवंशो मध्यप राजपूत एंग्लो-ओरिएण्टल प्रेस प्रागरा' व सम्पादक 'स्वदेश-बाम्धव' के अनुरोध से यह संगित 'जीवन-चरित 'अल्प समय में लिख कर पाठकों को मेट करता हूं। यदि यह रुचिकर हुना तो बहुत बीघ्र बुद्ध का विस्तृत जीवन-चरित्र प्रकाशित करूंगा।
में कुंवर हनुमन्तसिंह जी को विना धन्यवाद दिये नहीं रह सकता । आप चाहते हैं, कि हिन्दी में उत्तमोत्तम पुस्तके प्रकाशित करें, परन्तु जब तक उत्तम पुस्तकों की सर्व साधारस हिन्दी भाषी जनों बनुपाहकता न हो तब तक हिन्दी भाषा के साहित्य का उत्कट होना कठिन मालूम होता है।
मैंने इस पुस्तक लिखने में J. Barthetemy Saint 'Hillaine त "युद्ध का धर्म" औरMarcus Dods, D. D. कृत "मुहम्मद, बुद्ध और ईसा" नामक पुस्तकों से बहुत पुष सहायता पाई, इस से में इनका कृताहूं।
झांसी, बुन्देसरा । बन्दावन शाखा वर्मा। भारका पतीया ०१९६५ वि०)
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