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पदार्थनो पुरुषार्थ मे मिला करनेमो पुरु वार्य सेही उन्ननिसबको समझनाचाहिये और परमेश्वर पने मनकोकभीनहींकसना उसकी आज्ञापाल्न न कीजोकोईभक्तीकरेगा वह कभीनकसाजायेगा क्योंकिवहतोपरमपिताहैजोकोई शत्रुकोभी शरणजाताहै और उसकी पानाकोपाले गातोय हभीशत्रु भावकोत्यागकरशरण आयेकी रक्षा दीकरताहेजोकोईऐसा कहेकिनहीं परमेश्वर मीभक्तकीश्वद्धाऔर धीरजताकीपरीक्षा किया| करताहैसोयहमीभ्रममात्र परीक्षाकरनाका मअल्पन्न काहोताहैसर्बज्ञका नहीजो सबका अन्नरयामीहे वह किसकीपरीक्षाकया करताधोर जोयह कहते हैं किधर्मकरते होवेहानवहभी महामूर्ख धर्मसेसदासुखहीहवाकरताहै। चोरधधर्मसेदुख नपाखंडीलोगों के उपदेश निदेशकामत्यानाशकरादिया हम देखते हैं कि गावमेंजमीदारदाथपरहाथधरेपूजा पाठहीके भरोसे पुरुषार्थकोत्याग चौपालमै दिनभरबैठे || टटड बेवजनिरहते हैं नखेत देखने हैन क्यगरदेखते हैं और जोकोई कुरकरनाभीहैनो उनकोभीपोपजी हानीही पोहंचानेरहने
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