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से लुटने देता है और जो चोर यह पुकारें कि हमारा टुकड़ा तो लाखों का चोरी ही से चलताहै तुम हमको चोरी करने ढोला वहभी कोई बड़ाही मूर्ख होगा जो अपने या दूसरे के घर चोरी करने की प्रज्ञादेगा सो महाराज प्रविद्या अन्धकार दूर हो कर विद्या रुपी सूर्य की कि हृदयांमें प्रकाश कर रही हैं - प्रब | इस पाखंड को छोड़ कर देश उपकार का मार्गपक डा जो तुम्हारी शाख बधे नहीं तो कुत्ते की तरह मारे मारे फिरोगे गिल्ले की बात नहीं अभी अपनी दशा देखे क्या लानती की वर्षों से न्हा रहे हो रहा जन्मपत्र बनाना उसको हम बुरा नहीं कहते परन्तु उसमेंइत ना हीलिखना ठीक है कि आज अमुक घड़ी अमुक दिन प्रमुक मांस अमुक संबत में यह लड़का जिस का यह नाम सुन्दर बिचार कर रखा अमुक मातापि ता के घर अमुक शहर वा गाँव में हुवा और जो कुछ उसके जन्म उत्सव आदि संस्कार आदि का व्यतीन प्रवस्था हाल चाहे जो लिख दो जिसको कभी अवश्य कता होतो उस जन्म पत्रमे यह पता मिल जायगा कि आज दिन इस लड़के की प्रायू इतनी हुई या और कोईरान उसके जन्मके दिन की देखनी दी वहभी जो लिखी दो देखलें और जैसा जन्म आज वाल
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