________________
( १४ ) स्वामी दयानन्दजी का पिछला उत्तर ।।
राजा शिवप्रसादजी आनन्दित रहो आप का पत्र मेरे पास आया देख कर अभिप्राय जान लिया इस से मुझ को निश्चित हुआ कि आप ने वेदों से लेके पर्व मीमांसा (8) पर्यन्त विद्या पुस्तकों के मध्य मेंसे किसी भी पुस्तक के शब्दार्थ सम्बन्धों को जाना नहीं है इसलिये आप को मेरी बनाई भूमिका का अर्थ भी ठीक २ विदित न हुआ जो आप मेरे पास आके समझते तो कुछ समझ सकते परन्त जो आप को अपने प्रश्नों के प्रत्युत्तर सुननेकी इच्छा हो तो स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती वा बालशास्त्री जी को खड़ा करके (१०) सुनियेगा तोभी आप कुछ २ समझलेंगे क्योंकि वे आपको समझावेंगे तो कुछ आशा है समझ जायँगे भला विचार तो कीजिये कि आप उन पुस्तकों के पढ़े विना वेद और ब्राह्मण पुस्तकों का
(९) जान पड़ताहै कि स्वामीजी महाराजने पूर्वमीमांसाही तक देखा है उत्तर मीमांसा नहीं देखा नहीं तो ऐसा न लिखते ।।
(१०) तो जहां जा जिसके जिसके पास भाष्य भूमिका जाता है भपके पास स्वामी विशुद्धानन्दजी और पंडित बालशास्त्रीजी को जाना चाहिये अथवा उनसबको समझने के लिये दयानन्दजी के पापाना चाहिये ।। . ..
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com