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(२) घोर निद्रामें सोते रहोगे अब सूर्य निकल पाया ग़फ़ल न की सजा को त्याग उठ बैठो बड़ा शोक है विद्यारु पी सूर्य के निकलने परभी उगों का समूह दिनधीले हमको लूट रहाहै चैनन हो कर देखोतो यह क्या धों कल गदी मच रही हैं हमने शुमार किया है कि हमारे देश बासी एक चौथाई लोग कुछ भी पुरषार्थनहीं करते भालसी और स्वार्थियोंने भीख माग करखाना या कपट छलसे लूट करखाना अपना पेशा टहरा एकवाहै भला जब एक चौथाई हमारे बीच मेंसेस्वाथी पालसी होकर हमारी कमाई को उग कर रवाजावें तो हमारा देश कब उन्नति को प्राप्ति हो सकताहै अब हम उनकी एक छोटी सी उगई को बर्णन कर निहैं हमको आशाहै कि पाठक गए इसको पढ़कर उनके धोके से अपने दसों नरवों की कमाई को बचाकर देशोन्ननिमें लगावेंगे और अपने वाला क्चों के पालन और माता पिता आदि की सेवामें अपना कमाया धन रखर्च करके अपनाइसलो क और परलोक का सुधार करेंगे पाठकगण, वह एक अदना सी ठगई मंठी ज्योतिष जि सने यहाँ के लोगों को बैल की तरह ऐसाजोन रकबाहै कि जिधर ज्योनयीजी हाँके उधर चलना दोनाहै भागे चाहै कये में गिरना पड़े परन्तु क्या
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