________________
(1)
उसको ईश्वर बदला दिलाने को उत्तम धाम छुड़ा कर कुन्ना बना देना क्या वह आप दंड नहीं देशक्ता या रहा अब अगला पिछला दाल बताना सो यहभी ज्योतिष विद्या नहीं यह तो एक अनु मान कर लेना है जैसे कोई किसी कुपथ्याहारी को अनुमानसे कहदे कि नू बिमार हो जावेगा या असाध्य रोगीको कहदें कि यह मर जावेगा या किसीका दुर्बल श रोर देख कर कहदें कि तूने बड़ा देह कष्ट उठाया जाहै सो कर कर के किसीका रथा धन व्यय करते जान कर कहदें कि थोड़ोही काल में तुम पर ऐसा क्रूर ग्रह यावेगा कि तू कंगाल होजावेगा और फिर उसका रहा सहा धन पूजा पाठ जप अनुष्ठान का धोका दे कर आप यह मूर्ति बन कर ग्रहण करलें और उस को कंगाल दास बना कर और स चे ज्योतषी बन कर कहने लगे कि देखो हमने प वले बता दिया था कि तू कंगाल हो जावेगा परन्तु निरा कोई पूर्व संस्कार अच्छा था जो उस समय पर हम प्रानिकले और जप पाठ करके भला तेरी जानतो बचाली ऐसेही किसी की टूटी हवेली देख कर उस को कहा कि तेरे पुरष धन वानथे परन्तु तेरा भाग मदहै किसी की नई दबेली देखी तो कह दिया कि निरे पुरषा तो मंद भागी ये तेरा नविश्ता चमन कारी है।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com