________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् ।
मरण होता है । और जहांपर एक जीव उत्पन्न होता है वहां अनन्त जीवोंका उत्पाद होता है। भावार्थ—साधारण जीवोंमें उत्पत्ति और मरणकी अपेक्षा भी सादृश्य है । प्रथम समयमें उत्पन्न होनेवाले साधारण जीवोंकी तरह द्वितीयादि समयोंमें भी उत्पन्न होनेवाले साधारण जीवोंका जन्म मरण साथ ही होता है । यहां इतना विशेष समझना कि एक बादर निगोद शरीरमें या सूक्ष्म निगोद शरीरमें साथ उत्पन्न होनेवाले अनन्तानन्त साधारण जीव या तो पर्याप्तक ही होते हैं या अपर्याप्तक ही होते हैं। किन्तु मिश्ररूप नहीं होते; क्योंकि उनके समान कर्मोदयका नियम है। बादर निगोदिया जीवोंकी संख्या बतानेको दो गाथा कहते हैं ।
खंधा असंखलोगा अंडरआवासपुलविदेहा वि । हेछिल्लजोणिगाओ असंखलोगेण गुणिदकमा ॥ १९३ ॥ __ स्कन्धा असंख्यलोका अंडरावासपुलविदेहा अपि ।
__अधस्तनयोनिका असंख्यलोकेन गुणितक्रमाः ॥ १९३ ॥ . अर्थ-स्कन्धोंका प्रमाण असंख्यातलोकप्रमाण है । और अंडर आवास पुलवि तथा देह ये क्रमसे उत्तरोत्तर असंख्यातलोक २ गुणित हैं । भावार्थ-अपने योग्य असंख्यातका लोकके समस्त प्रदेशोंसे गुणा करनेपर जो लब्ध आवे उतना समस्त स्कन्धोंका प्रमाण है । और एक एक स्कन्धमें असंख्यातलोक प्रमाण अंडर हैं, एक २ अंडरमें असंख्यातलोक प्रमाण आवास हैं, एक २ आवसमें असंख्यातलोक प्रमाण पुलवि हैं, एक २ पुलविमें असंख्यातलोकप्रमाण बादर निगोदिया जीवों के शरीर हैं । इस लिये जब एक स्कन्धमें असंख्यात लोक प्रमाण अंडर हैं तब समस्त स्कन्धोंमें कितने अंडर होंगे ? इस प्रकार इनका त्रैराशिक करनेसे अंडर आवास पुलवि तथा देह इनका उत्तरोत्तर क्रमसे असंख्यातलोक असंख्यातलोक गुणा प्रमाण निकलता है। - इसका दृष्टान्त बताते हैं।
जम्बूदीबं भरहो कोसलसागेदतग्घराई वा। खंधंडरआवासापुलविशरीराणि दिटुंता ॥ १९४ ॥
जम्बूद्वीपो भरतः कोशलसाकेततगृहाणि वा ।
स्कन्धाण्डरावासाः पुलविशरीराणि दृष्टान्ताः ॥ १९४॥ अर्थ-जम्बूद्वीप भरतक्षेत्र कोशलदेश साकेतनगरी ( अयोध्या ) और साकेत नगरीके घर ये क्रमसे स्कन्ध अंडर आवास पुलवि और देहके दृष्टान्त हैं । भावार्थ-जिस प्रकार जम्बूद्वीप आदिक एक २ द्वीपमें भरतादिक अनेक क्षेत्र, एक २ भरतादि क्षेत्रमें
.१ स्कन्ध अंडर आवास आदि प्रत्येकजीवोंके शरीरविशेष हैं ।
For Private And Personal