Book Title: Gommatsara Jivakand
Author(s): Khubchandra Jain
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 258
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir २३८ रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । जीविदरे कम्मचये पुण्णं पावोत्ति होदि पुण्णं तु। . सुहपयडीणं दवं पावं असुहाण दवं तु ॥ ६४२ ॥ जीवेतरस्मिन् कर्मचये पुण्यं पापमिति भवति पुण्यं तु। ___ शुभप्रकृतीनां द्रव्यं पापमशुभप्रकृतीनां द्रव्यं तु ॥ ६४२ ॥ अर्थ-जीव पदार्थमें सामान्यसे मिथ्यादृष्टि और सासादन गुणस्थानवाले जीव पाप हैं । और मिश्र गुणस्थानवाले पुण्य और पापके मिश्ररूप हैं। तथा असंयतसे लेकर सब ही पुण्य जीव हैं । इसके अनंतर अजीव पदार्थका वर्णन करते हैं । अजीव पदार्थमें कार्मण स्कन्धके दो भेद हैं । एक पुण्य दूसरा पाप । शुभ प्रकृतियोंके द्रव्यको पुण्य और अशुभ प्रकृतियोंके द्रव्यको पाप कहते हैं । भावार्थ-कार्मण स्कन्धमें सातावेदनीय, नरकायुको छोड़कर शेष तीन आयु, शुभ नाम, उच्च गोत्र, इन शुभ प्रकृतियोंके द्रव्यको पुण्य कहते हैं । इनके सिवाय घातिकर्मकी समस्त प्रकृति और असातावेदनीय, नरक आयु, अशुभ नाम, नीच गोत्र, इन प्रकृतियोंके द्रव्यको पाप कहते हैं । आसवसंवरदवं समयपबद्धं तु णिजरादत्वं । तत्तो असंखगुणिदं उकस्सं होदि णियमेण ॥ ६४३॥ आस्रवसंवरद्रव्यं समयप्रबद्धं तु निर्जराद्रव्यम् ।। ततोऽसंख्यगुणितमुत्कृष्टं भवति नियमेन ॥ ६४३ ॥ अर्थ-आस्रव और संवरका द्रव्यप्रमाण समयप्रबद्धप्रमाण है । और उत्कृष्ट निर्जराद्रव्य समयप्रबद्धसे असंख्यातगुणा है । भावार्थ-एक समयमें समयप्रबद्धप्रमाण कर्मपुद्गलका ही आस्रव होता है, इसलिये आस्रवको समयप्रबद्धप्रमाण कहा है । और आस्रवके निरोधरूप संवर है । सो यह संवर भी एकसमयमें उतने ही द्रव्यका होगा, इसलिये द्रव्य-संवरको भी समयप्रबद्ध प्रमाण कहा है। गुणश्रेणिनिर्जरामें असंख्यात समयप्रबद्धोंकी निर्जरा एक ही समयमें हो जाती है, इसलिये उत्कृष्ट निर्जराद्रव्यको असंख्यात समयप्रबद्धप्रमाण कहा है। बंधो समयपबद्धो किंचूणदिवड्डमेत्तगुणहाणी। मोक्खो य होदि एवं सहहिदवा दु तचट्ठा ॥ ६४४ ॥ बन्धः समयप्रबद्धः किञ्चिदूनद्व्यर्धमात्रगुणहानिः । मोक्षश्च भवत्येवं श्रद्धातव्यास्तु तत्वार्थाः ॥ ६४४ ॥ अर्थ-बन्धद्रव्य समयप्रबद्धप्रमाण है; क्योंकि एक समयमें समयप्रबद्धप्रमाण ही कर्मप्रकृतियोंका बंध होता है । तथा मोक्षद्रव्यका प्रमाण व्यर्धगुणहानिगुणितसमयप्रबद्ध प्रमाण १ पुण्य और पाप प्रकृतियोंकी भिन्न २ संख्या कर्मकाण्डमें देखना चाहिये । For Private And Personal

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